दिल्ली में किन स्थानों की हवा कितनी खराब, मुंडका और शादीपुर में घुटेगा दम
Air Pollution in Delhi: दिल्ली में प्रदूषण ने विकराल रूप अख्तियार कर लिया है. इस हफ्ते लगातार पांचवें दिन भी वायु गुणवत्ता सूचकांक ‘खराब श्रेणी’ में बनी हुई है. राजधानी दिल्ली के कुछ इलाकों में तो स्थिति इतनी खराब हो गई है कि अगर उन जगहों पर आप एक घंटा भी बिताए तो आपको अस्पताल में भी जाना पड़ सकता है. इन इलाकों में वायु की गुणवत्ता ‘बहुत खराब श्रेणी’ को भी पार कर गंभीर श्रेणी में पहुंचने वाली है. ऐसे में आने वाले कुछ दिन दिल्लीवालों के लिए मुश्किल से भरे होने वाले हैं. मौसम विभाग की मानें तो दिल्ली-एनसीआर में अगले कई दिनों तक हवा की गुणवत्ता में सुधार के कोई गुजांइश नहीं है. सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (SAFAR) के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता शुक्रवार को भी खराब श्रेणी में रही. दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 250 के आसपास रहा.
सफर के मुताबिक गुरुग्राम में वायु की औसत गुणवत्ता 252, नोएडा में 208, दिल्ली के लोधी रोड पर 218 दर्ज किया गया. दिल्ली के तीन इलाकों में वायु गुणत्ता बहुत खराब श्रेणी यानी 300 को पार कर गया है. वहीं, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक शुक्रवार को दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता 250 के अंक को पार गया. बुधवार को यह 243 और गुरुवार को 256 के अंक को यह पार कर लिया था. दिल्ली के बवाना, शादीपुर, मुंडका, नेहरु नगर और आनंद विहार में वायु का गुणवत्ता बहुत खराब श्रेणी में पहुंच चुकी है. इन इलाकों में वायु का औसत गुणवत्ता 300 के पार है.
पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं चरम पर पहुंच चुका है. (Image:PTI)
इन इलाकों की हवा ‘बहुत खराब’
दिल्ली सरकार ने शुक्रवार से रेडलाइट ऑन गाड़ी ऑफ अभियान की शुरुआत कर दी है. बता दें कि एक साल पहले उपराज्यपाल ने इस अभियान पर सवाल उठाते हुए रोक दिया था. केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान के अध्ययन पता चला है कि ट्रैफिक सिग्नलों पर इंजन चलते रखने पर प्रदूषण स्तर में 9 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है. ऐसे में माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में इस अभियान का असर दिल्ली में दिख सकता है.
कब तक मिलेगी राहत?
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के विश्लेषण के मुताबिक 1 नवंबर से 15 नवंबर तक राजधानी में प्रदूषण बहुत ज्यादा हो जाता है, जब पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं अपने चरम पर पहुंच जाती हैं. ऐसे में देश की राजधानी दिल्ली को अगले 30 दिन प्रदूषण की चुनौती से निपटने की तैयारी शुरू हो गई है. इसी के तहत बहुत जल्द ही केंद्र सरकार के निर्देश पर यूपी, हरियाणा, पंजाब और दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्रियों की बैठक होने वाली है. इस बैठक में प्रदूषण से नपटने की तैयारी पर एक साझा एक्शन प्लान तैयार होगा, जिसके तहत दिल्ली, फरीदाबाद, गुरुग्राम, नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद में लागू किया जाएगा.
एक टन पराली को जलाने पर करीब 1,500 किग्रा कार्बन डाइऑक्साइड निकलती है.
बता दें कि एयर क्वलिटी इंडेक्स 0 और 50 के बीच ‘अच्छा’, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’ है. 101 और 200 ‘मध्यम’, 201 और 300 ‘खराब’, 301 और 400 ‘बहुत खराब’, और 401 और 450 ‘गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है. दिल्ली सरकार ने 13 स्थानों को चिन्हित किया है, जहां प्रदूषण से निपटने की विशेष इंतजाम किए जाएंगे. इसके लिए एक विशेष टीम बनाई गई है, जो प्रदूषण के स्थानीय स्रोतों की पहचान और निरीक्षण करने के साथ-साथ पराली को लेकर भी ठोस कदम उठाएगी.